मध्य प्रदेश में सरकार गिराने और बचाने का खेल जारी है। इस बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने गुरुवार को सीएम हाउस से बयान जारी कर कहा कि हमारे पास बहुमत है, इसलिए हमें फ्लोर टेस्ट कराने की जरूरत ही नहीं। बेंगलुरु में ठहरे विधायक दबाव में हैं। उन्हें यहां (भोपाल) आना चाहिए। दिग्विजय सिंह ने भी बेंगलुरु जाकर कुछ गलत नहीं किया।
सीएम हाउस पर हलचल नहीं
गुरुवार को यहां सन्नाटा पसरा रहा। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सुबह डीजीपी विवेक जौहरी समेत कुछ अफसरों को तलब किया। सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट में फ्लोर टेस्ट को लेकर होने वाली सुनवाई पर हैं। सूत्रों की मानें तो सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद ही मुख्यमंत्री अपने पत्ते खोलेंगे।
कमलनाथ इस पूरे ऑपरेशन की बागडोर खुद संभाले हैं। वे सीएम हाउस से सारी रणनीति तैयार करते हैं और उसे अंजाम देने के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को जिम्मेदारी सौंपते हैं। मुख्यमंत्री सबसे पहले कानूनी विशेषज्ञों से सलाह-मशविरा करते हैं, इसके बाद दिल्ली में नेताओं से फीडबैक लेते हैं। विधायकों को साधने के लिए भी कमलनाथ फॉर्मूले निकाल रहे हैं।
सीएम हाउस के गेट पर सुरक्षा का रिव्यू
सीएम हाउस के गेट पर आज सुरक्षा व्यवस्था का रिव्यू किया गया। वरिष्ठ अधिकारियों ने बैरीकेड चेंज करने का निर्णय लिया है। यहां सुरक्षा व्यवस्था पर विशेष नजर रखी जाएगी। आशंका है कि बुधवार को कांग्रेस के प्रदर्शन को देखते हुए भाजपा भी आज यहां विरोध जताने के लिए धरना दे सकती है।
24 घंटे में दो बार कांग्रेस विधायक दल की बैठक
मुख्यमंत्री आवास पर बुधवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक में कमलनाथ ने विधायकों के साथ ताजा हालात पर मंथन किया। सीएम ने विधायकों से पूछा कि मुझे पता है कि आप घर से दूर रह रहे हैं, तकलीफ तो हो रही होगी। इस पर मंत्रियों और विधायकों का जवाब था कि हम एक महीने और रुक सकते हैं। बैठक में बेंगलुरु में हुई घटना को लेकर निंदा प्रस्ताव पारित किया गया। विधायकों का कहना था कि बेंगलुरु में साथियों को बंधक बनाकर रखा गया है। इसके बावजूद भाजपा फ्लोर टेस्ट की मांग कर रही है।